~ Neelam Gupta, Agrasar
रेडियो, जिसके बारे में हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, हमने कभी न कभी रेडियो पर कोई खबर या गाना सुना होगा | किसी सफर के दौरान या घर में, और अब डिजिटल दुनिया में तो जिनके पास स्मार्टफोन हैं, सभी के पास रेडियो मौजूद है| बस बात अपनी-अपनी पसंद की है। कुछ लोगों को रेडियो पर गाने सुनने पसंद है, तो कुछ को कोई जानकारी/ख़बर और कुछ लोगों को वक्त ही नहीं मिलता होगा रेडियो सुनने का। मेरे तो यह विचार थे, आपके क्या विचार हैं?
जब मैं अग्रसर के साथ कार्येरत हुई तो मुझे गुडगाँव की आवाज – 107.08 रेडियो चैनल के बारे में मालूम हुआ। अग्रसर हर महीने में 1 या 2 बार समुदाय के लिए रेडियो पर सोशल सिक्योरिटी, फाइनेंशियल लिटरेसी, और आईडेंटिटी डॉक्यूमेंट्स से संबंधित उचित जानकारी रेडियो सत्र के द्वारा देता है। अग्रसर चाहता है कि वह जिस समुदाय में काम कर रहा है, उसके साथ-साथ बाकी समुदाय के लोगों को भी जागरूक करे। जब मैं इन सब से अवगत हुई तो मुझे कॉन्सेप्ट काफी पसंद आया, क्या यही मेरी रेडियो को लेकर एक अलग पहचान की शुरुआत थी ?
मेरे मन में रेडियो को लेकर वही सोच थी, कि क्या लोग सुनते होंगे?
हम जब-जब रेडियो सत्र लेते हैं, उस सत्र का लिंक अपने सभी समूहों में और व्हाट्सएप्प स्टेटस के माध्यम से सभी को सूचना देते हैं। मुझे थोड़ा-थोड़ा यकीन होने लगा था कि ज़्यादा तो नहीं पर कुछ लोग सुनते हैं, वो भी तब, जब हम सत्र लेते हैं। सत्र के दौरान कुछ लोग सवाल पूछते, तब मुझे थोड़ा सुकून मिलता और लगता “अच्छा कुछ तो सुनते हैं”। मैंने भी कुछ आईडेंटिटी डॉक्यूमेंट्स और सोशल सिक्योरिटी से संबंधित सत्र लिए हैं, साथ ही अग्रसर की ओर से मुझे गुडगाँव की आवाज़ के साथ संचालन करने का मौका मिला। कुछ सत्रों में 4 – 5 कॉल्स आ जाती थी तो कुछ में 1 भी नहीं। हमने जो लिंक शेयर किए होते थे, सब कहते थे कि, “ठीक है सुनेंगे” पर जब हम समुदाय के लोगों से रेडियो सत्र के बारे में पूछते थे तब जवाब कुछ इस तरह मिलते थे – “ सुन नहीं पाएं क्योंकि काम में बिज़ी थे, कुछ कहते थोड़ा-सा सुना”। हम हर बार कोशिश करते कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग सुनें और जागरूक हों, लेकिन हमारी कोशिश कुछ हद तक ही सफ़ल हो पाती थी।
जून 2023 में रेडियो सत्र लिया, उस सत्र के व्हाट्सएप्प स्टेटस लिंक पर समुदाय से रिप्लाई आया कि “अग्रसर द्वारा लिए जा रहे सभी रेडियो सत्र काफी अच्छे होते हैं और आप सभी जो जानकारी देते हैं, वो बहुत ही महत्वपूर्ण होती है, अग्रसर और आप सभी का इसके लिए धन्यवाद और आप सभी इसी तरह से जानकारियों के द्वारा जागरूक करते रहें।” समुदाय की ओर से ऐसा रिप्लाई देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा और उस एक रिप्लाई ने मेरी रेडियो के प्रति सारी गलतफहमियों को दूर कर दिया। अब मैं और भी उत्साह से रेडियो सत्र संचालित करती हूँ |
रेडियो के लाइव शो के लिंक के साथ-साथ आवृत्ति प्रसारण के बारे में भी समुदाय को अवगत करवाती हूँ, जिससे लोग अपने समय अनुसार सत्र में दी गई जानकारी को सुन पाएं। साथ ही हम रेडियो सत्र में समुदाय के लोगों को भी भागीदारी लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैंI अगर किसी के पास कोई भी ऐसी जानकारी जो समुदाय के लिए महत्वपूर्ण हैं, वो भी रेडियो सत्र के द्वारा सांझा करते हैं। लोगों से हमने रेडियो सत्रों के बारे में पूछा की उन्हें “सत्र कैसे लग रहे हैं?” या “उनका कोई सुझाव हो तो वह हमें सांझा कर सकते हैं”। समुदाय के लोगों से यह फ़ीडबैक मिला की “आधे घंटा के सत्र में हमारे कुछ सवाल बाकि रह जाते हैंI अगर सत्र की समयावधि थोड़ी और बढ़ जाये तो हमारे लिए अच्छा होगा”। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने अपने सत्रों की समय सीमा 1 घंटा कर दी हैं।
रेडियो के प्रति जो मेरी पहले विचारधारा थी उसमे अब बदलाव आ गया हैI यह बदलाव मुझे अब रेडियो के माध्यम से समुदाय को जागरूक करने में उत्साह ला रहा हैं।
आप हमारे यूट्यूब चैनल द्वारा हमारे सभी रेडियो सत्रों की रिकॉर्डिंग सुन सकते है।
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